REIKI IN GORAKHPUR
Dr. S.K. VISHWAKARMA
(REIKI GURU)
INDEPENDEND REIKI MASTER / PROFESSOR OF BUDDHA AUSADHI. TRADITIONAL , MORDEN AND KARUNA SYSTEM.
INDEPENDEND REIKI MASTER / PROFESSOR OF BUDDHA AUSADHI. TRADITIONAL , MORDEN AND KARUNA SYSTEM.
CHAKASHAHUSEN (RAMJANKI NAGER) POST-BASARATPUR, GORAKHPUR- 273004 MOBILE NO- 9236509476
BUDDHA AUSHADHI JAPANI NAME REIKI. THE USUI SYSTEM OF NATURUL HEALING A HOLISTIC METHOD OF TREATMENT FOR TOTAL RELAXATION AND STRESS RELEASE SAY TRETMENT OF MIND, BODY & SOUL ABSENTEE HEALING & 1ST, 2ND, 3RD DEGREE AND KARUNA REIKI ATTUNEMENT FOR PROFESSIONAL PRACTICE. WRITE TO OR
CONTACT:- 9236509476
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MY REIKI TEAM-
1:- Dr. ACHARYA JAIRAM SHARMA
near gorakhnath overbirj, gorakhpur
mobile no- 8853193709
2:- Dr. MANORAMA VISHWAKARMA
ramjanki nager, gorakhpur
mobile no- 9236879982
3:- Dr. JITENDRA YADAV
allahabad
mobile no- 958038233
4:- Dr. ASHOK KUMAR VISHWAKARMA
nakha no. 1, gorakhpur
mobile no- 8736066353 , 8303213886
5:- Dr. R. K. SHARMA
aadityapuri post- gitavatika, gorakhpur
mobile no. 9616863017
mobile no. 9616863017
6:- Dr. SANTOSH KUMAR SINGH
master m.p. inter college, gorakhpur
mobile no-8765106147
7:- Dr. smt. SHARDA SINGH
pali sahjanawan, gorakhpur
mobile no- 8756233450
8:- DEVENDER PRATAP NARAYAN
ramjanki nager basarat pur gorakhpur.
mobile no. 7844920179
ramjanki nager basarat pur gorakhpur.
mobile no. 7844920179
9:- Dr. SUSHMA VISHWAKARMA
devkali belipar, gorakhpur
mobile no. 7388830401
mobile no. 7388830401
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MY REIKI GURU:-
Dr. RAJVIR SINGH
REIKI MASTER LUCKNOW
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MY REIKI LINNEAGE
MY REIKI LINNEAGE
1:- MICAO USUI
2:- CHUJIRO HAYASHI
3:- HAWAYO TAKATA
4:- ISHIKURO
5:- ROBERTSON
6:- FINLEY
7:- SUKHBIR
10:- RAJVIR SINGH
11:- S.K. VISHWAKARMA
सभी रोगों का सफल उपचार REIKI द्वारा
ALL THE BEST...
FROM-
Dr. S.K. VISHWAKARMA
(REIKI MASTER)
MOBILE NO. 9236509476
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रेकी एक जापानी भाषा का शब्द है जो रे और की से मिलकर बना है। रे का अर्थ है सर्वव्यापी और की का अर्थ है जीवनशक्ति अर्थात रेकी का शाब्दिक अर्थ सर्वव्यापक जीवनशक्ति है। कुछ लोग इसे प्राणशक्ति या संजीवनी शक्ति के नाम से भी जानते है।
प्रारम्भ : हालाँकि यह विद्या प्राचीन काल से प्रचलित है, विशेषकर हमारे ऋषि-मुनि इसका प्रयोग लोक कल्याण के लिए करते थे परन्तु समय के साथ ये विद्या लुप्त हो गई और इस विद्या से जुड़े हुए ग्रंथ भी अप्राप्त है। मुख्यतः ईसा और बुद्ध द्वारा इसके प्रयोग के उल्लेख कुछ कथाओं या ग्रंथों में मिलते हैं।
रेकी के वर्तमान स्वरूप के प्रणेता डॉ. मिकाऊ उसई को माना जाता है जिन्होंने कठिन परिश्रम के बाद इस विद्या को न सिर्फ पुनः खोजा बल्कि इस विधा को आगे बढा़या।
रेकी की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण इसका एकदम सरल एवं असरदार होना है। रेकी का प्रयोग व्यक्ति में निहित ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करने एवं विश्रांति के लिए किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति ऊर्जावान महसूस करता है, जो उसकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
हमारे शरीर के चारों तरफ 4-6 इंच के घेरे में हमारा ऊर्जा शरीर होता है, जिसे अंग्रेजी में AURA भी कहते है। रोग एवं तनावग्रस्त व्यक्ति में यह सिकुड़कर कुछ सेंटीमीटर रह जाता है। इसके विपरीत जो साधक या सिद्ध-पुरुष होते हैं उनका AURA कुछ मीटर या उससे भी ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा जो व्यक्ति मन, वचन एवं कर्म से पवित्र होते हैं उनमे भी एक विशाल AURA की सम्भावनाएँ होती हैं।
चिराजो हयाशी
हमारी ऊर्जा शरीर के चारों तरफ 6-8 इंच के घेरे में एक और सतह होती है, जिसे मनोमय शरीर के नाम से भी जाना जाता है। जो हमारे विचारों का या मनस्थिति का घेरा है। हम अपने आम जीवन में भी यह महसूस करते हैं कि जब भी हम किसी स्वस्थ मानसिकता वाले मनुष्य के सानिध्य में होते हैं तो अच्छा महसूस होता है, वहीं जब किसी रुग्न या तनावग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने पर हमें उस व्यक्ति से नकारात्मक तरंगों का अनुभव होता है।
ऐसा मन जाता है की हमारे ऊर्जामय शरीर में ऊर्जा के कई छोटे बड़े चक्र (केंद्र) होते हैं। जो हमारी हर सकारात्मक भावना को नियंत्रित या विकसित करते हैं ये ऊर्जा के केंद्र ब्रह्माण्ड में स्थित सार्वभौमिक ऊर्जा को सतत हमारे शरीर में संचारित करने का कार्य करते रहते है। हमारे ऊर्जा चक्र जितने ज्यादा सक्रिय होंगे हम उतने ही ऊर्जावान और सकारात्मक विचारो के होंगे एवं हमारी रचनात्मकता या आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है।
इसके विपरीत यदि हमारे ऊर्जा केंद्र ठीक तरह से काम नहीं करेंगे या इनमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न हो जाता है, तो हम नकारात्मकता विचारों और कार्यों में पद सकते है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से रुग्न बना सकता है।
रेकी इन्हीं 24 मुख्य छोटे-बड़े ऊर्जा चक्रों या महत्वपूर्ण ऊर्जा केन्द्रों को हाथ के स्पर्श से नियंत्रित करने का अभ्यास है जिससे व्यक्ति काफी शांत एवं ऊर्जावान महसूस करता है। रेकी के प्रयोग से व्यक्ति में रचनात्मकता की वृद्धि होती है, व्यक्ति तनावमुक्त होता है साथ ही साथ उसके आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है।
रेकी के अभ्यास की विधि इतनी सरल है की कोई भी व्यक्ति इसे किसी भी स्थिति में किसी भी समय कर सकता है। रेकी हमारे पारंपरिक योग, प्राणायाम, ध्यान जैसी विधियों का खंडन बिलकुल नहीं करती बल्कि रेकी, साधकों के लिए काफी मददगार सिद्ध हो सकती है। बशर्ते आप किसी योग्य रेकी मास्टर्स द्वारा प्रशिक्षित हो।
आज के युग में जहाँ हम अपनी तनावग्रस्त दिनचर्या को चाहकर भी नियमित नहीं रख पाते हमें रेकी जैसे सरल एवं असरदार साधन की बहुत सख्त जरूरत है। जो हमारे अन्दर ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित रखेगा।
डॉ. यस. के. विश्वकर्मा
रेकी मास्टर प्रोफ़ेसर बुद्ध औषधि
चक्साहुसेन रामजानकी नगर,
पो. बसारतपुर गोरखपुर
फोन - 9236509476
रेकी एक जापानी भाषा का शब्द है जो रे और की से मिलकर बना है। रे का अर्थ है सर्वव्यापी और की का अर्थ है जीवनशक्ति अर्थात रेकी का शाब्दिक अर्थ सर्वव्यापक जीवनशक्ति है। कुछ लोग इसे प्राणशक्ति या संजीवनी शक्ति के नाम से भी जानते है।
प्रारम्भ : हालाँकि यह विद्या प्राचीन काल से प्रचलित है, विशेषकर हमारे ऋषि-मुनि इसका प्रयोग लोक कल्याण के लिए करते थे परन्तु समय के साथ ये विद्या लुप्त हो गई और इस विद्या से जुड़े हुए ग्रंथ भी अप्राप्त है। मुख्यतः ईसा और बुद्ध द्वारा इसके प्रयोग के उल्लेख कुछ कथाओं या ग्रंथों में मिलते हैं।
रेकी के वर्तमान स्वरूप के प्रणेता डॉ. मिकाऊ उसई को माना जाता है जिन्होंने कठिन परिश्रम के बाद इस विद्या को न सिर्फ पुनः खोजा बल्कि इस विधा को आगे बढा़या।
( मिकाओ उसई )
हमारे शरीर के चारों तरफ 4-6 इंच के घेरे में हमारा ऊर्जा शरीर होता है, जिसे अंग्रेजी में AURA भी कहते है। रोग एवं तनावग्रस्त व्यक्ति में यह सिकुड़कर कुछ सेंटीमीटर रह जाता है। इसके विपरीत जो साधक या सिद्ध-पुरुष होते हैं उनका AURA कुछ मीटर या उससे भी ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा जो व्यक्ति मन, वचन एवं कर्म से पवित्र होते हैं उनमे भी एक विशाल AURA की सम्भावनाएँ होती हैं।
चिराजो हयाशी
हमारी ऊर्जा शरीर के चारों तरफ 6-8 इंच के घेरे में एक और सतह होती है, जिसे मनोमय शरीर के नाम से भी जाना जाता है। जो हमारे विचारों का या मनस्थिति का घेरा है। हम अपने आम जीवन में भी यह महसूस करते हैं कि जब भी हम किसी स्वस्थ मानसिकता वाले मनुष्य के सानिध्य में होते हैं तो अच्छा महसूस होता है, वहीं जब किसी रुग्न या तनावग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने पर हमें उस व्यक्ति से नकारात्मक तरंगों का अनुभव होता है।
हवाई ताकता
ऐसा मन जाता है की हमारे ऊर्जामय शरीर में ऊर्जा के कई छोटे बड़े चक्र (केंद्र) होते हैं। जो हमारी हर सकारात्मक भावना को नियंत्रित या विकसित करते हैं ये ऊर्जा के केंद्र ब्रह्माण्ड में स्थित सार्वभौमिक ऊर्जा को सतत हमारे शरीर में संचारित करने का कार्य करते रहते है। हमारे ऊर्जा चक्र जितने ज्यादा सक्रिय होंगे हम उतने ही ऊर्जावान और सकारात्मक विचारो के होंगे एवं हमारी रचनात्मकता या आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है।
इसके विपरीत यदि हमारे ऊर्जा केंद्र ठीक तरह से काम नहीं करेंगे या इनमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न हो जाता है, तो हम नकारात्मकता विचारों और कार्यों में पद सकते है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से रुग्न बना सकता है।
रेकी इन्हीं 24 मुख्य छोटे-बड़े ऊर्जा चक्रों या महत्वपूर्ण ऊर्जा केन्द्रों को हाथ के स्पर्श से नियंत्रित करने का अभ्यास है जिससे व्यक्ति काफी शांत एवं ऊर्जावान महसूस करता है। रेकी के प्रयोग से व्यक्ति में रचनात्मकता की वृद्धि होती है, व्यक्ति तनावमुक्त होता है साथ ही साथ उसके आध्यात्मिक स्तर का विकास होता है।
रेकी के अभ्यास की विधि इतनी सरल है की कोई भी व्यक्ति इसे किसी भी स्थिति में किसी भी समय कर सकता है। रेकी हमारे पारंपरिक योग, प्राणायाम, ध्यान जैसी विधियों का खंडन बिलकुल नहीं करती बल्कि रेकी, साधकों के लिए काफी मददगार सिद्ध हो सकती है। बशर्ते आप किसी योग्य रेकी मास्टर्स द्वारा प्रशिक्षित हो।
आज के युग में जहाँ हम अपनी तनावग्रस्त दिनचर्या को चाहकर भी नियमित नहीं रख पाते हमें रेकी जैसे सरल एवं असरदार साधन की बहुत सख्त जरूरत है। जो हमारे अन्दर ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित रखेगा।
सभी रोगों का सफल उपचार रेकी से सम्भव है ...
PAGE MACKER:-
DEVENDER PRATAP NARAYAN
7844920179
:)
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